आम आदमी (हाइकु काव्य) #लेखनी वार्षिक कविता प्रतियोगिता -10-Mar-2022
आम आदमी (हाइकु काव्य)
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आम आदमी
कठिन परिश्रम
भूखा ही सोता
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देखे सपने
पूरे हो न पाते
अधूरे रहे
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कीमती वोट
देता है वो अपना
आम आदमी
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आम नसीब
नहीं होता उसको
है मंहगाई
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पैसे जोड़ता
करे कटौती अपनी
आम आदमी
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कविता झा 'काव्या कवि'
#लेखनी वार्षिक कविता प्रतियोगिता
१० ०३.२०२२
Seema Priyadarshini sahay
11-Mar-2022 05:12 PM
वाह बहुत खूबसूरत
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Gunjan Kamal
10-Mar-2022 06:28 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Swati chourasia
10-Mar-2022 06:20 PM
Very nice 👌
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