Kavita Jha

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आम आदमी (हाइकु काव्य) #लेखनी वार्षिक कविता प्रतियोगिता -10-Mar-2022

आम आदमी (हाइकु काव्य)
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आम आदमी
कठिन परिश्रम
भूखा ही सोता
***
देखे सपने
पूरे हो न पाते 
अधूरे रहे
***
कीमती वोट
देता है वो अपना
आम आदमी
***
आम नसीब
नहीं होता उसको
है मंहगाई
***
पैसे जोड़ता
करे कटौती अपनी
आम आदमी
****
कविता झा 'काव्या कवि'
#लेखनी वार्षिक कविता प्रतियोगिता
१० ०३.२०२२

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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Mar-2022 05:12 PM

वाह बहुत खूबसूरत

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Gunjan Kamal

10-Mar-2022 06:28 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Swati chourasia

10-Mar-2022 06:20 PM

Very nice 👌

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